मटर की फली व दाना उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीकि
मृदा एवं भूमि की तैयारी
- मटर उत्पादन सभी प्रकार की भूमि में कर सकते है.
- भूमि में जल भराव नहीं होना चाहिए. यानि जल निकास का उचित प्रबन्धन होना चहिये क्योकि यह एक दलहन फसल है.
- तीन-चार बार कल्टीवेटर से जुताई करके भूमि को भुरभुरा करे.
- पाटा चलाकर समतल करे.
- मटर की फली उत्पादन के लिए किस्म-
यह सभी किस्मे सब्जी के लिए हरी फली पैदा करने के लिए उगायी जाती है.
- पी.एस.एम.-3
- ए.पी.-3
- जी.एस.-10
- अर्किल
- आजाद -3
- मटर की दाने वाली किस्म
- जे.एम्.-6
- प्रकाश
- के.पी.एम्.-400 (यह किस्म बौनी व पाउडरी मिलड्यू प्रतिरोधी होती है )
- आई.पी.एफ.डी.-99-13 (बौनी व पाउडरी मिलड्यू रोग के प्रति प्रतिरोधी है )
- आई.पी.एफ.डी.-1-10 ( यह बौनी व पाउडरी मिलड्यू प्रतिरोधी के प्रति प्रतिरोधी होती है )
- आई.पी.एफ.डी.-99-25. (यह अधिक ऊंचाई व पाउडरी मिलड्यू रोग के प्रति प्रतिरोधी होती है)
- बीज
- बीज की मात्रा- 80-100 कि.ग्रा/हेक्टर. ऊंचाई वाली किस्मो के लिए ज्यादा बीजदर व बौनी किस्मो के लिए कम बीजदर की आवश्यकता होती है.
- लाइन से लाईन की दूरी 5-30 सेमी. व पौधे से पौधे की दूरी *10 से.मी. रखते है.
- बुवाई का समय
- यह एक रवी की फसल है. जो सर्दियो के समय में लगायी जाती है.
- जिसकी बुवाई अक्टूबर से नबम्बर महीने में की जाती
- 6. बीज उपचार
- एक किलोग्राम मटर बीज में 2 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से कार्बेन्डाजिम से उपचारित करे.
- माहू के लिए इमिड़ाक्लोप्रीड 70% से उपचारित करे.
- उसके बाद राइजोबियम व पी.एस.बी. कल्चर का 10-10 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचार करे.
- उर्वरक की मात्रा
- नाइट्रोजन -20 किलोग्राम/हेक्टर.
- फोस्फोरस- 40 किलोग्राम/हेक्टर
- पोटाश – 40 किलोग्राम/हेक्टर.
- सल्फर – 20 किलोग्राम/हेक्टर.
- खरपतवार नियंत्रण .
- पेंडीमिथलीन 3 लीटर/हेक्टर 500 लीटर पानी में मिला के बुवाई के 1-3 दिन के अन्दर स्प्रे करे. यह एक pre emergence खरपतवारनाशी है.
- मेंटरीबुज़िन 70WP – 800 ग्राम/हेक्टर की दर से. बीज बोने के 15-20 दिन के बाद छिड़काव करे.
- यह सकरी व चौड़ी दोनों प्रकार की पत्तियो वाले खरपतवार को ख़त्म करता है.
- सिंचाई
- हर 10-15 दिन के बाद अन्तराल के बाद सिंचाई करे.
10.फली की तुड़ाई
- . जल्दी वाली किस्मो में पहली बार फलियो की तुड़ाई 40-60 दिन के बाद की जाती है.
- देरी वाली किस्मों में 75 दिन बाद पहली तुड़ाई की जाती है.
- बीज वाली फसलो में फसल की कटाई पकने पर की जाती है.
- इसकी हरी फली तोड़कर बेचने के कारण किसानों को अच्छा लाभ मिलता है. यदि किसान मटर के बुवाई के समय के थोड़ा बदलाव करके आगे या पीछे बुवाई करे तो उनकी फसल का मूल्य ज्यादा मिलेगा व किसानों को लाभ ज्यादा होगा.
- रोग प्रबन्धन
- पाउडरी मिलड्यू – भभूतिया रोग- इसके लिए कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/लीटर के दर से स्प्रे करे.
- घुलनशील सल्फर पाउडर का स्प्रे करे.
- कीट प्रबन्धन
- माहू- 0.5 मि.ली./लीटर की दर से स्प्रे करे. 250 मि.ली./हेक्टर
- स्टेम फ्लाई व लीफ माइनर- फोरेट 10 कि.ग्रा./हेक्टर से मृदा उपचार करे.
- फली छेदक- प्रोफेनोफोस 1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करे.
फोटो-पीक्सेल.कॉम