मूंगफली उत्पादन की उन्नत तकनीक
Cultivation of Groundnut
उन्नत किस्मे-
किस्म | अवधि (दिन) | उपज(क्विंटल /हेक्टर ) |
जे.जी.एन-3 | 100-105 | 15-20 |
जे.जी.एन-23 | 90-95 | 15-20 |
टी.जी.-37 ए | 100-105 | 18-20 |
जे.एल. 501 | 105-110 | 20-25 |
जी.जी.-20 | 105-110 | 20-25 |
आपके जिले के बाजार में अन्य किस्म भी मिल जाएगी जो खाद, बीज बेचते है उन डीलर के पास.

भूमि की तैयारी- मूंगफली की खेती विभिन्न प्रकार मृदाओ में की जा सकती है. लेकिन जल निकास का उचित प्रबंध होना चाहिए. एक बार मिटटी पलटने वाले हल से करके 2-3 वार हैरो से जुताई करे जिससे मिटटी अच्छी तरह भुरभुरी हो जाये इसके बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर दे
भूमि उपचार- मूंगफली फसल में जमीन के कीड़े व दीमक की समस्या रहती है इसको नियंत्रण करने के लिए फोरेट या कार्बोफुरान 20 किलों/हेक्टर की दर से जमीन में मिला दे.
खाद एव उवर्रक- मूंगफली में 50 क्विंटल अच्छी हुई गोबर की खाद बुवाई से पूर्व जमीन में मिलाये. तथा उवर्रक में 20 किलों नाइट्रोजन, 60 किलों फास्फ़ोरस एवं 20 किलों पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करे. इन तीनो उवर्रक को बुवाई के समय खेत में डाले. तथा तेलीय फसलों के लिए सल्फर आवश्यक है इसके लिए 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट या 250 किलों जिप्सम का प्रयोग बुवाई के समय करे.
बीज दर – मूंगफली की गुच्छेदार किस्म के लिए 100 किलों व फैलनेवाली जातियो के लिए 80 किलोग्राम/हेक्टर बीज की आवश्यकता होती है.
बुवाई का समय- जून के दुसरे सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक बुवाई करे.
दूरी- मूंगफली की गुच्छेदार किस्म के लिए 30*10 सेमी व फैलनेवाली जातियो के लिए 45*15 सेमी की दुरी पर बुवाई करनी चाहिए.
खरपतवार नियंत्रण- फ्लूक्लोरेलिन बुवाई से पूर्व जमीन में मिलाये. व पेंडीमेथालिन बुवाई के 2 दिन के अन्दर करे. तथा खडी फसल में इमिजाथाइपर बुवाई के 20-25 दिन तक कर सकते है.
मूंगफली में मुख्यत सिंचाई की चार अवस्थाये होती है प्रारंभिक बढवार अवस्था, फूल बनने, फली लगने व फली भरने की अवस्था, इस समय सिंचाई की आवश्यकता होती लेकिन समय पर वारिश हो तो सिंचाई की जरूरत नहीं है.