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Package of practices of different crops.,
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कपास की उन्नत किस्मे, Cultivation of Cotton, DCH Cotton,
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है चन्द्र शेखर जोशी और आप सभी किसान भाईयों और ब्लॉग पढ़ने वाले साथियों का स्वागत है हमारी इस वेवसाईट www.kisanhomecart.com में. हमारी इस वेवसाईट पर हम कृषि से सम्बंधित पोस्ट या ब्लॉग लिखते है. ताकि किसान भाइयो को नई-नई जानकारी मिलती रहे.
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आज इस पोस्ट में हम चर्चा करेंगे डी.सी.एच. कपास के बारे में इसका उत्पादन कर किसान भाई अधिक लाभ कमा सकते है.
देश में दो तरह की कपास बोई जाती है एम.सी.एच. व डी.सी.एच. कपास. इसमें से कपास के कुल क्षेत्र में से बहुत बड़े हिस्से में लगभग 90% भाग में एम.सी.एच. कपास व बाकी 10 प्रतिशत हिस्से में डी.सी.एच. कपास लगाई जाती है.
डी.सी.एच. कपास की अवधि एम.सी.एच.की तुलना में ज्यादा रहती है. यह कपास लम्बी अवधि तक लगती रहती है. इस कपास का धागा ज्यादा लम्बा रहता है. तथा धागे का रंग थोड़ा भूरे रंग का रहता है. इस कपास का भाव बाजार में ज्यादा मिलता है. जिन क्षेत्रों में यह कपास लगाई जाती है वहा पर इसकी बुवाई बारिश होने के बाद की जाती है. जबकि बहुत सारे राज्यों में एम.सी.एच. कपास की बुवाई बारिश से पूर्व की जाती है.
एक पैकेट में 450 ग्राम बी.टी. कपास आती है जो खेत में कपास के लिए लगाई जाती है. और इसके साथ 120 ग्राम नॉन बी.टी. कपास आती है जिसमे बी.टी. जीन नहीं रहता है. यह नॉन बी.टी. कपास. बी.टी. कपास के चारों और 2 या तीन लाइनों में बोई जाती है, इस पर ही कीटों की इल्ली का प्रकोप होता है व इल्ली का प्रकोप बी.टी कपास पर नही होता है, इससे बी.टी. कपास के प्रति इल्लियों में प्रतिरोधी क्षमता पैदा नहीं होती हो व बी.टी. कपास की प्रतिरोधी क्षमता बनी रहती है . बी.टी. कपास पर केवल रस चूसने वाले कीड़ो का ही प्रकोप होता है
एक हेक्टर की बुवाई में लगभग 2.5 किलों या 5 पैकेट बी.टी. कपास लगती है. बीज के एक पैकेट की कीमत 730 रुपये रहती है. कही कही पर कपास के साथ मक्का की इन्टरक्रोपिंग भी की जाती है. ज्यादातर कपास की खेती काली मिटटी में की जाती है, लेकिन आजकल किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी में इसकी खेती कर सकते है, जिसमे जल निकास की सुविधा हो यानि खेत में लम्बे समय तक पानी न भरे. इसका औसत उत्पादन 20-40 क्विंटल प्रति हेक्टर तक होता है. कपास में अगर लगातार सिंचाई करते रहते है तो यह काफी लम्बे समय तक उत्पादन देती है.
यह खरीफ की एक प्रमुख फसल है यह मंडी में 5-6 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकती है.
कपास की किस्मे – बहुत सी कंपनीयों के कपास के आते है , जिन में से किसी भी कंपनी के कपास की किस्म का चुनाव किसान भाई बुवाई के लिए कर सकते है.
यह सभी विभिन्न प्राइवेट कम्पनियो के कपास की किस्मे है, और भी कंपनी के कपास आते है तो किसान भाई किसी भी कंपनी के कपास का बीज लगा सकते है.
कपास के पैकेट के ऊपर बीज की परिक्षण दिनांक, पैकिंग की दिनांक, बीज की एक्सपायरी दिनांक ( इस तारीख के बाद का बीज नहीं बोना चाहिए), पैकेट की कीमत, बीज का वजन आदि की जानकारी लिखी रहती है.
और पैकेट के ऊपर यह भी लिखा रहता है की यह कपास किस किस राज्य में बुवाई के लिए उपयुक्त है. और पैकेट के ऊपर कस्टमर केयर नंबर भी रहता है, जिस पर किसान फ़ोन करके बीज व कपास की जानकारी ले सकते है. किसान भाई जब भी कपास का पैकेट ख़रीदे तो इन सभी सूचनायों को जरूर पढ़े.
इस पैकेट के ऊपर कपास की किस्म का नाम, कंपनी का नाम व कंपनी का पता आदि लिखा रहता है तो किसान भाइयो को यह जानकारी जरूर पढ़नी चाहिए.
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है चन्द्र शेखर जोशी और आप सभी किसान भाईयों और ब्लॉग पढ़ने वाले साथियों का स्वागत है हमारी इस वेवसाईट www.kisanhomecart.com में.
आज में आपको बताने वाला हूँ कुछ ट्रेनिंग के बारे में जिसे कोई भी कर सकता है चाहे वो गाँव में रहकर खेती करते है या शहर में रहते हो और उनके पास थोड़ी जगह है तो या वो किराये पर भी ले सकते है. और इस ट्रेनिंग या प्रशिक्षण का खर्चा आदि के बारे में . यह ट्रेनिंग है मशरूम के उत्पादन व हाइड्रोपोनिक्स तरीके से सब्जी उत्पादन के बारे में. अगर किसान खेती बाड़ी के साथ इनका व्यवसाय करता है या इस नए तरीके से खेती करता है तो उनकी आय निश्चित रूप से बढ़ेगी.
हमारी इस वेवसाईट पर हम कृषि से सम्बंधित पोस्ट लिखते है. ताकि किसान भाइयो को खेती के बारे में नई-नई जानकारी मिलती रहे.आप सभी किसान भाईयों और दोस्त, हमारी इस पोस्ट/ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करे व इस जानकारी को अपने व्हाट्सअप या फेसबुक पर शेयर जरूर करे. और पोस्ट के नीचे नीले रंग का सब्सक्राइब का बटन है, तो आप उस में अपना नाम व मेल आई.डी. लिखकर क्लिक करके हमारी इस वेवसाईट को सब्सक्राइब जरूर करे, ताकि जब भी हम कृषि की योजनाओं के बारे में नई पोस्ट डाले तो आपको नोटिफिकेशन के द्वारा इसकी जानकारी मिल जाये. और अगर आप कुछ पूछना चाहते है तो पोस्ट के नीचे कमेंट बॉक्स है उसमे अपना कमेंट, नाम एवं मेल आई.डी. लिख कर नीले रंग के पोस्ट कमेंट के बटन पर क्लिक करे.
सबसे पहले हम बात करते है मशरूम की ट्रेनिंग के बारे में तो इसमें में आपको दो ट्रेनिंग के बारे में बताऊंगा जिसमे से आप कोई सी भी ट्रेनिग कर सकते है. तो इसमें सबसे पहले है इन्दोरी मशरूम के बारे में यह लोग मशरूम का उत्पादन करते है और किसानो को मशरूम के उत्पादन की ट्रेनिंग भी देते है, तो जो लोग मशरूम उत्पादन कर व्यवसाय करना चाहते है वो इसने संपर्क करके आप इनसे अगली ट्रेनिंग की समय स्थान व दिनांक पूछ सकते है और उस समय पर जाकर प्रशिक्षण ले सकते. यह ट्रेनिग में मशरूम उत्पादन व स्पान का उत्पादन (मशरूम का बीज), रोग कीड़ो का नियंत्रण, मशरूम की मार्केटिंग या उसको बेचने की व्यवस्था आदि के बारे में पूरी जानकारी देते है. इनकी फीस ट्रेनिग की अवधि व साथ में देने वाले सामान के अनुसार होती है. इनकी सबसे कम ट्रेनिंग की फीस 500 रुपये प्रति व्यक्ति है. इनसे संपर्क करने के लिए आपको इनके मोबाइल नंबर 7354247521 & 8718996585 पर इनसे बात कर सकते है. यह मध्यप्रदेश में इंदौर में कार्य करते है. तो इनके नजदीकी के जो लोग है वो इनसे संपर्क कर सकते है.
दूसरा है – सोम्य फूड्स प्राइवेट लिमिटेड – इनका कार्यक्षेत्र देहरादून में है. ये लोग इन हाउस एडवांस मशरूम कल्टीवेशन ट्रेनिंग का आयोजन करते है. यह मशरूम उत्पादन में काफी एडवांस है. यह उतराखंड की कृषि विभाग व वहा की प्रदेश सरकार के साथ मिलकर युवाओ को ट्रेनिंग देकर उनको व्यवसाय के लिए प्रेरित करते है. इनके संस्थापक व टीम के मेंबर कई बार मशरूम के सम्बन्ध में विदेश भ्रमण भी कर चुके है. व अभी रिसेंटली बाबा रामदेव के साथ पंतजलि के साथ भी मशरूम उत्पादन शुरू किया है. इनकी अगली ट्रेनिंग 3 -10 जून 2019 को शुरू होगी. जिसकी फीस प्रति व्यक्ति पंद्रह हजार रुपये है. यह साल में कई बार ट्रेनिंग कराते है. तो इनसे संपर्क करने के लिए इस नंबर 7409993860 पर आप इनसे संपर्क कर सकते है. यह मशरूम के उत्पादन रखरखाब व बेचने तक सभी के बारे में पूरी जानकारी देंगे. ट्रेनिंग की फीस अलग अलग रहती है.
तीसरा है – हाइड्रोपोनिक्स ट्रेनिंग – इसमें केवल पानी से सब्जी का उत्पादन किया जाता है. इसमें सब्जी फसल उगाने के लिए मिटटी का उपयोग नहीं किया जाता है. यह जो ट्रेनिग कराते है उनका नाम है धाकड़ हाई टेक नर्सरी. ये हाइड्रोपोनिक्स की सम्पूर्ण जानकारी देते है. और इनके पास सभी साइज़ में हाइड्रोपोनिक्स के सेट रहते है. जिनको किसान इनसे खरीद सकते है व हाइड्रोपोनिक्स द्वारा सब्जी उगाकर अपना बिज़नस शुरू कर सकते है. इनकी प्रशिक्षण की फीस कम से कम एक हजार रुपये रहती है.
इस प्रकार से कोई भी व्यक्ति इनसे संपर्क करके अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रशिक्षण ले सकता है. इन सभी का फेसबुक आई.डी. है जहा पर आप इंनके बारे में और डिटेल ले सकते है. Facebook ID – 1. For Mushroom – इन्दोरी मशरूम – Indori mushroom सोम्य फूड्स प्राइवेट लिमिटेड – Soumya Foods Private Limited 2. for Hydroponics -धाकड़ हाई-टेक नर्सरी – Dhakad Hi-Tech Nursery .
Hello friends My name is Chandra Shekhar Joshi and you are welcome to our website www.kisanhomecart.com.
Today, I’m going to tell you about some training that anyone can do, whether they live in the village or they live in the city and they have some space or they can also rent it. And about the cost of this training etc. This training is about production of mushrooms and vegetable production in hydroponics manner. If the farmer does this business with their cultivation or cultivates this new way then his income will definitely increase.
On this website, we write posts related to agriculture. So that the farmers can get new information about farming. All of you must subscribe to this post / blog and share this information on your WhatsApp or Facebook. Below the post there is a blue subscribe box, in that box write your name and email id. Click on the button and subscribe to this website. so that whenever we put new posts about the agriculture, you can get this information through notification. And if you want to ask something then there is a comment box below the post, in this write your comment, name and email id. And send it to me by clicking on the blue comments button.
First of all, we talk about the training of mushrooms. In this I will tell you about two training from which you can do any training. First of all, I will tell you about Indori Mushroom. These people produce mushrooms and also train to the farmers for production of mushroom. People who want to do business mushroom production can contact them. And you can ask them the time and date of the next training. And then go to that training and take training. It gives full information about the production of mushroom, production of spawn (mushroom seeds), control of disease insects, marketing of mushroom or arrangement for selling it in the training. Their fees are in accordance with the duration of the training and the accompanying goods. Their lowest training fee is Rs 500 per person. To get in touch with them, you can talk to them on their mobile number 7354247521 & 8718996585. It works in Indore in Madhya Pradesh. So, people who are close to them can contact them.
The second is – Soumya Foods Pvt. Ltd. – Their area of work is in Dehradun. These people organize In House Advance Mushroom Cultivation Training. This is quite advanced in mushroom production. It trains the youth of Uttarakhand with the agriculture State Department of Uttarakhand and the state government, giving them training and motivating them for business. Their founders and team members have also travelled abroad in relation to mushrooms. And with the Baba Ramdev, he has already started mushroom production. Their next training will begin on June 3-10 June, 2019. The fee of which is fifteen thousand rupees per person. It trains many times a year. You can contact them at this number 7409993860. It will provide complete information about all the mushroom production till production and marketing. Training fees remain different for different trainings.
The third is – Hydroponics training – In this vegetable are produced in water. In this, soil is not used to grow vegetable crops. The name Dhakad High Tech Nursery provides training to farmers about it. It gives complete information of hydroponics. And they have a set of hydroponics in all sizes. farmers can buy them and can start their own business of cultivating vegetable by hydroponics. Their training fees are at least one thousand rupees.
In this way, any person can contact them and can take training to start their own business.
These are their Facebook IDs. Where you can take more details about trainings. Facebook ID – 1. For Mushroom – Indori mushroom. Soumya Foods Private Limited 2. For Hydroponics – Dhakad Hi-Tech Nursery .
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है चन्द्र शेखर जोशी और सभी किसान भाईयों और ब्लॉग पढ़ने वाले साथियों का स्वागत है हमारी इस वेवसाईट www.kisanhomecart.com में.
अभी लगभग सभी खेत खाली पड़े है, जिनके पास सिंचाई की व्यवस्था है केवल उन्ही किसान भाईयो ने खेत में फसल लगा रखी होगी. तो अभी गर्मी के मौसम में ऐसा क्या किया जाये की जब बारिश के मौसम में फसल लगाये तो उत्पादन भी ज्यादा आये और फसल में कीड़ो व रोग से नुकसान भी कम हो. तो आज हम आपको बताने जा रहे है ऐसी ही एक तकनीकी के बारे में जिसका इस्तेमाल आप अपने खेत में करेंगे तो आपको उत्पादन ज्यादा मिलेगा एवं खेत में रोग व कीड़े भी कम लगेंगे. हालांकि इस तकनीकि का इस्तेमाल करके आपकी लागत बढ़ जाएगी लेकिन हम इसी ब्लॉग में आपको बताएँगे की इसकी लागत की कम कैसे करे.
हमारे इस वेवसाईट पर हम कृषि से सम्बंधित, फसल उत्पादन की तकनीकी, उधानिकी फसलों, पशुपालन, कृषि की सरकारी योजनाओं आदि के बारे में पोस्ट या ब्लॉग डालते है. ताकि किसान भाइयो को खेती के बारे में नई नई जानकारी मिलती रहे.
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तो आज हम यहाँ बात करेंगे गर्मी की गहरी जुताई के बारे में, उसके क्या लाभ है, उसके कैसे करवाना है, उसकी लागत क्या आती है, लागत को कम कैसे करे, गहरी जुताई से उत्पादन कैसे बढेगा व फसल में रोग व कीड़ो के नुकसान को कैसे होंगे , आदि के बारे में यहाँ पर हम चर्चा करेंगे,
गर्मी की गहरी जुताई फसल कटाई के बाद अप्रैल -मई महीने में की जाती है. मई में महीने में अधिक गर्मी पड़ती है तो इस समय खेत में गहरी जुताई करने पर ज्यादा लाभ मिलता है. गहरी जुताई के लिए बिभिन्न प्रकार के हल आते है. उन्ही में से एक पलटी प्लाऊ आता है जो गहरी जुताई करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. गहरी जुताई लगभग एक फीट गहराई तक की जाती है. और इसमें एक फुट तक जमीन की पूरी मिट्टी पलट जाती है. इस प्लाऊ/हल की कीमत लगभग 65 हजार तक रहती है, कुछ इस तरह के प्लाऊ की कीमत कम भी रहती है तो इसकी कीमत क्वालिटी के अनुसार रहती है. इससे जुताई करने के लिय ज्यादा हॉर्स पॉवर बाले ट्रेक्टर की जरूरत रहती है. तथा इस हल को चलाने के लिए ट्रेक्टर में हाइड्रोलिक सिस्टम लगा होना चाहिए. ये हल एक बार एक तरफ से चलता है व एक बार दूसरी तरफ से चलता है. इस तरह से चलने के कारण जमीन की पूरी जुताई होती है. नहीं तो सामान्य हल में कुछ जमीन बिना जुती छूट जाती है. इस प्रकार के पलटी प्लाऊ से पुरे खेत की जुताई हो जाती है. इसकी जुताई के चार्ज/लागत 700 रुपये/घंटे रहती है. व एक हेक्टर जमीन की गहरी जुताई में लगभग 8 घंटे लगते है. तो एक हेक्टर की गहरी जुताई की लागत 5600 रुपये आती है. तो इससे फसल उत्पादन की लागत बहुत बढ़ जाती है.
लागत कैसे कम करे – गहरी जुताई तीन साल में एक बार करवाई जाती है हर साल खेतों की गहरी जुताई करने की जरूरत नहीं है.
एक बार में सभी खेतों की गहरी जुताई न करे. हर साल कुछ-कुछ खेत की गहरी जुताई करवाए जिससे एक बार में लागत बहुत अधिक नहीं आएगी.
कुछ राज्यों में गर्मी में गहरी जुताई करवाने पर प्रति हेक्टर अनुदान दिया जाता है, इसका लाभ लेने के लिए आप अपने जिले में कृषि विभाग में संपर्क कर सकते है. सभी किसानों को इसका लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि योजना कम लोगों के लिए आती है. लेकिन योजना हर साल आती है तो किसी भी साल किसान इसका लाभ ले सकते है.
उत्पादन पर प्रभाव- गहरी जुताई करने से खेत की पूरी मिट्टी पलट जाती है तो खेत में जो भी कचरा आदि रहता है वो मिटटी में नीचे चला जाता है, और सड़कर खाद बन जाता है.
खेत की मिट्टी में कीड़े कोकून बनाकर पड़े रहते है तथा अपनी सुसुप्त अवस्था में रहते है व इस तरह से जिन्दा रहते है, जब किसान फसल लगाता है तो ये कोकून में से निकालकर इल्ली व कीड़े बनाकर फसल को नुकसान पहुचाते है, मिटटी पलटने से कोकून जमीन के ऊपर आ जाते है व कीड़े खाने वाले पक्षी इनको खा जाते है. इसकी तरह से खेतो में रोग पैदा करने वाली फंगस रहती है. तो गहरी जुताई के कारण ये सभी ऊपर आ जाते है व सूरज की तेज धुप के कारण नष्ठ हो जाते है. इनके नष्ट होने से फसल में नुकसान कम होता है.
लगातार एक स्तर पर जुताई करने से या एक ही तरह से जुताई करने पर जमीन के नीचे 15 सेमी. की गहराई पर जमीन की कठोर परत बन जाती है जिसके कारण बर्षा का पानी ज्यादा मात्रा में जमीन में अंदर नहीं घुस पाता है और बहकर खेत से बाहर निकल कर बेकार हो जाता है. इसके कारण उपजाऊ मिटटी व पानी दोनों का नुकसान होता है. गहरी जुताई से कठोर परत टूट जाती है और बारिश का पानी खेत में ज्यादा अन्दर तक जाता है व खेत में सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है. इस तरह से गर्मी की गहरी जुताई के कारण फसल का उत्पादन ज्यादा मिलता है व फसल में रोग भी कम लगते है.
for more information visit out YouTube Channel –
Adhik Utpadan ke liye Jutai., अधिक उत्पादन के लिए गर्मी की गहरी जुताई,
यह तीन साल में एक बार की जाती है.सभी खेतों की एक ही बार में गहरी जुताई नहीं करे. टुकड़ो में जुताई करवाए.इसमें खेत की 30 सेमी.तक जुताई करते है. यह अप्रैल- मई में की जाती है.
ज्यादातर फसल उगाने का कार्य जमीन के 15 सेमी गहराई तक किया जाता है, फसल उगाने के लिए एक ही स्तर पर बार -बार जुताई करने से जमीन में एक कठोर परत बन जाती है, जिसके कारण बारिश में पानी जमीन के अन्दर नहीं जा पाता है, और बहकर खेत से बाहर निकल जाता है.गहरी जुताई से यह कठोर परत टूट जाती है व खेत की जमीन पानी का अवशोषण करती है.मिट्टी पलटने से जमीन में रहने बाले कीड़े व रोग (कवक) आदि जमीन के ऊपर आ जाते तो ये पक्षिओ द्वारा खा लिए जाते है, व कुछ तेज सूरज की धूप के कारण नष्ट हो जाते हो. जिससे फसलों के कीड़े व रोग कम लगते है. मिट्टी पलटने से जमीन का कचरा नीचे चला जाता है और अच्छी तरह से सडकर खाद बन जाता है. बाद में फसल की तैयारी के लिए खेत की जुताई भी आसानी से हो जाती है व मिट्टी भुरभुरी हो जाती है. इन सभी के कारण फसल का उत्पादन अधिक प्राप्त होता है.
हाइड्रोलिक पलटी प्लाऊ –यह हाइड्रोलिक सिस्टम से चलने वाला रहता है, जिसके कारण इसे केवल हाइड्रोलिक सिस्टम वाले ट्रेक्टर से ही चला सकते है.इसकी कीमत लगभग 35-40 हजार तक रहती है.इससे जुताई करने पर पूरी जमीन की जुताई होती है खेत में विना जुताई वाली जमीन नहीं रहती है.इसकी लागत 4500 रुपये प्रति हेक्टर रहती है.
सामान्य गहरी जुताई वाला प्लाऊ –इसकी कीमत 20-25 हजार रुपये रहती है.इससे गहरी जुताई करने पर कुछ जमीन विना जुताई के रह जाती है.इसकी जुताई की लागत 3 हजार रुपये प्रति हेक्टर रहती है.इस तरह किसान भाई अपनी सुविधा अनुसार प्लाऊ का इस्तेमाल करके गर्मी की गहरी जुताई कर सकते है.
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Mandi Rate of Different Crops.
Mandi-Neemuch-Mandsaur-Indore-Ujjain)
विभिन्न फसलों के मंडी भाव ( रुपये प्रति क्विंटल )
मंडी– नीमच -मंदसौर -इंदौर -उज्जैन
गेंहू (Wheat)– 1900-2240
गेंहू शरबती (Wheat -Sharbati) – 2602-2630
जौ (Barley)– 1630-1830
मक्का (Maize)– 1300-1560
सोयाबीन (Soybean) – 2800- 3370
रायडा/सरसों (Mustard) – 3620-3820
ज्वार – (Sorghum) – 1560-1700
अलसी (Linseed) – 3950-4120
तारामीरा (Taramira)– 3900-4000
मूंगफली (Ground Nut) – 2800-4400
चना (Chick Pea) – 3650-4100
उड़द (Black Gram) – 3300-4100
मसूर (Lentil)- 2150-3350
मूंग- (Green Gram ) – 2500-2800
तुवर/अरहर (Pigeon Pea ) – 2500-3320
मैंथी (fenugreek) – 3210-3950
धनिया (Coriander)– 4700-5800
अजवाइन (Ajwain) – 8900-14500
इसबगोल (Isabgol)– 5800-8720
कलौंजी (Kalonji)– 7550 – 9350
ग्वार ( Guar )(Cluster Bean)– 3700-4000
तिल्ली/तिल (Til) (Sesamum) –5500-11500
असगंध (Ashwagandha)– 6100-7150
तुलसी बीज (Tulsi Seed)–5500-10500
लहसुन (Garlic) – 200-1500
लहसुन सुपर (Garlic Super)– 3000-7200
सुवा (Suva)– 5850-6700
असालिया (Asaliya)– 3600-3900
चिरायता (chirata)– 1300-1400
पोस्ता/खसखस (Posta Seed/Khaskhas/Opium poppy)– 40000-60500
कपास एम.सी.एच. (Cotton-MCH) –3900- 5099
कपास – डी.सी.एच. (Cotton -DCH) – 5150- 5861
डालर चना Dollor Chick pea)– 3000-5510
प्याज (Onion)– 100-500
बटला/मटर (Pea) – 1501-1950
Courtesy- Patrika News